रोगाणु (germs) क्या हैं? रोगाणु के फ़ायदे और नुकसान | Germs Advantage and Side Effect in Hindi

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रोगाणु अथवा germs ऐसे छोटे जीव जंतु होते हैं जिन्हें हम अपनी आंखों से देख भी नहीं पाते हैं। ये हमारे शरीर में कब आ जाते हैं और कब चले जाते हैं, इस बात का हमें अंदाजा भी नहीं होता है। आप विश्वाश नहीं करेंगे कि अभी भी आपके शरीर में बहुत सारे रोगाणु मौजूद हैं। ये रोगाणु ही बीमारियों का सबसे बड़ा कारण होते है|  ये हमारे शरीर के लिए लाभदायक भी हो सकते हैं, और हमारे शरीर को नुकसान भी पहुंचाते हैं। इन्हें हम अपनी आंखों से नहीं देख सकते हैं और इन्हें देखने के लिए हमें माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल करना पड़ता है। माइक्रोस्कोप रोगाणुओं के छोटे आकार को बड़ा करके दिखा देता है। ये रोगाणु जब तक हमारे शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं तब तक हमें यह पता भी नहीं चलता है कि ये हमारे शरीर में मौजूद है या नहीं।

रोगाणुओं (germs) के प्रकार (Types of Germs in Hindi)

रोगाणुओं की चार प्रमुख प्रजातियां होती है: बैक्टीरिया, कवक (fungi), वायरस virus), प्रोटोजोआ (protozoa)। आइए अब हम इनके बारे में थोड़ा जान लेते हैं

  • बैक्टीरिया: बैक्टीरिया छोटे और एक कोशिकाओं में रहने वाले जीव हैं और हमारे पर्यावरण में रहकर वहां से अपना पोषण करते हैं। ये बैक्टीरिया कहीं भी उत्पन्न हो सकते हैं, ये हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं और बीमारी फैलाते हैं। 
  • वायरस: वायरस को जीवित रहने के लिए एक होस्ट की आवश्यकता होती है और अगर उन्हें होस्ट नहीं मिले तो ये वायरस लंबे समय तक जीवित नहीं रह पाते हैं। वायरस किसी भी जीवित व्यक्ति या पशु की कोशिकाओं में रहते हैं, फैलते जाते हैं और लोगों में बीमारियां फैलाते हैं।
  • कवक(fungi): कवक बहू कोशिकाओं वाले जीव हैं जो कि पेड़-पोधों और जीवित प्राणियों से अपना पालन पोषण करते हैं। ये खुद अपना आहार तैयार नहीं कर सकते हैं। ये कवक गर्म स्थानों में रहना पसंद करते हैं।
  • प्रोटोजोआ: प्रोटोजोआ एक कोशिका वाले जीव हैं और मुख्य रूप से पानी के द्वारा बीमारियां फैलाते हैं। ये रोगाणु नमी वाली जगहों में पाए जाते हैं। प्रोटोजोआ से हमें बहुत सारी बीमारियां होने का खतरा रहता है।

रोगाणु काम कैसे करते हैं? (How do Germs Work in Hindi)

रोगाणु हमारे शरीर पर सीधा आक्रमण करते हैं और लंबे समय तक हमारे शरीर में रहते हैं। ये रोगाणु हमारे शरीर में मौजूद पोषक तत्वों से अपना पालन पोषण करते हैं। रोगाणु हमारे शरीर में मौजूद सभी जरूरी पोषक तत्वों को मिलाकर एक विषैले पदार्थ में बदल देते हैं। ये पदार्थ हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं और हमें बीमार कर देते हैं।

रोगाणु के नुकसान: (Germs Side Effect in Hindi)

 

बैक्टीरिया के नुकसान:-

 

  • कुछ बैक्टीरिया हमारे शरीर के अंदर जाकर हमारे अंगों को नुकसान पहुंचते हैं और हमारे अंदर मौजूद हमारे सहयोगी रोगाणुओं को मार देते हैं और हमें बीमार कर सकते हैं। ये रोगाणु हमारे अंदर जहरीले पदार्थ बना देते हैं जो कि हमारे शरीर के लिए बहुत ही हानिकारक है।
  • कुछ किस्म के बैक्टीरिया हमारे खाने में आकर उसे खराब के सकते हैं और अगर हम हम बैक्टीरिया का खाना खाएं तो हम भी बीमार हो सकते हैं। इसलिए खाने को हमेशा साफ और सुरक्षित जगह पर ही रखना चाहिए।
  • शोध के अनुसार पाया गया है कि कुछ बैक्टीरिया पेड़ों पर चिपक जाते हैं और इन पेड़ों पर लगने वाले फल या सब्जियों को खराब कर देते हैं, यदि हम इन दूषित फल या सब्जियों का सेवन करते हैं तो हम बीमार पड़ सकते हैं।
  • रोगजनक (pathogenic) बैक्टीरिया हमारे शरीर के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक होते हैं क्योंकि रोगजनक बैक्टीरिया से हमें गले की बीमारी, हैजा, तपेदिक, स्टैफ संक्रमण जैसी बीमारी होने का खतरा होता है।
  •   कवक (fungus) से नुकसान:-

  कवक के कारण मनुष्यों को ये प्रमुख बीमारियां हो सकती हैं:

  • जहरीली बीमारी: जैसा कि पहले बताया गया था कि कवक गर्म स्थानों में रहना पसंद करते हैं, मशरूम भी गरम स्थानों में उगते हैं, ऐसे में अगर इस तरह के मशरूम का सेवन कर लिया जाए तो हमारा जिगर और गुर्दा काम करना बंद कर सकते हैं और हमारी मौत भी हो सकती है। यही नहीं विषेले मशरूम हमारी पाचन शक्ति को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचते हैं।
  • एलर्जी: कवक के हमरे शरीर पर होने से दाद, खाज, खुजली इत्यादि बीमारी हो सकती है। कई बार धावक के पैरों के बीच में कुछ दाद जैसे दाने बन जाते हैं, इनका कारण कवक ही होता है।

वायरस से नुकसान: वायरस से हमें ठंड, जुखाम, खांसी, चिकनपाक्स, ईबोला, एड्स जैसी बीमारियों का कारण है। वायरस हमारे शरीर की कोशिकाओं को भी नष्ट के सकते हैं। वायरस का हर मनुष्य पर एक प्रभाव नहीं होता है। अलग अलग मनुष्यों पर वायरस अलग प्रभाव डाल सकते हैं।

प्रॉटोजोआ से नुकसान: प्रॉटोजोआ दूषित पानी और खाने से ज्यादातर फैलते हैं और हमारे पाचन शक्ति को नुकसान पहुंचाते है। किसी कीड़े के काटने की वजह से भी प्रोटोजोअा के रोगाणु हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और बुखार जैसी बीमारी फैला सकते हैं।

रोगाणु से कैसे बचा जाए:

  • हाथ धोना: लगभग सभी रोगाणु हमारे शरीर में हमारे मुंह से अंदर जाते हैं, इसलिए इससे बचने के लिए हमें हमेशा खाना खाने से पहले और खाना खाने के बाद हाथ साबुन से धोने चाहिए 
  • साफ सफाई रखकर:  प्रॉटोजोआ जैसे रोगाणु पानी से फैलकर ही शरीर में जाते हैं, इसलिए कभी भी पानी को एक जगह पर लंबे समय तक नहीं रोक कर रखना चाहिए।
  • पीने का पानी: हमेशा से ही साफ पानी ही पीना चाहिए। दूषित पानी के सेवन से प्रॉटोजोआ जैसे रोगाणु शरीर में जाकर हमारी कोशिकाओं को नष्ट कर सकते हैं।

रोगाणु के फायदे: 

  • कुछ बैक्टीरिया हमारे पाचन तंत्र में होते हैं और हमारे खाना पचाने में हमारी सहायता करते हैं। ये बैक्टीरिया खाने के बड़े टुकड़ों को छोटे छोटे टुकड़ों में बांट देते हैं ताकि पाचन क्रिया सही रूप से चलती रहे।
  • कुछ बैक्टीरिया का इस्तेमाल एंटीबायोटिक बनाने में किया जाता है। ये बैक्टीरिया ऑक्सीजन को बनाने में सहायता करती हैं, इसलिए इनका उपयोग एंटीबायोटिक बनाने में किया जाता है।
  • Commensal एक ऐसा बैक्टीरिया ही जो कि हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। वैज्ञानिकों ने यह तो पता लगा लिया है कि इस बैक्टरिया से इम्यून सिस्टम को मजबूती मिलती है परन्तु यह नहीं पता लगा पाए हैं कि ऐसा क्यों है?

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