
मल्टिपल मायलोमा एक तरह से कैंसर का ही प्रकार होता है। जो खून में फैलता है। मल्टिपल मायलोमा से शरीर मे गुर्दे की बीमारी की ज्यादा संभावना होती है। मल्टिपल मायलोमा वाइट ब्लड सेल्स को प्रभावित करता है इन्ही सेल्स को प्लाज़मा सेल्स के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल वाइट सेल्स हमारे शरीर के लिए जरूरी होते है और यह हमारे शरीर को बीमारियों और संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है। इसलिए मल्टिपल मायलोमा में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है। इसके अलावा मल्टिपल मायलोमा में कैंसर कोशिकायें बोन मैरो में इकट्ठी होने लगती है। और इसी कारण स्वस्थ कोशिकाएं अस्वस्थ होने लगती है और गुर्दे के रोग की संभावना ज्यादा हो जाती है।
मल्टिपल मायलोमा के कारण (multiple myeloma in hindi)
अब तक हम मल्टिपल मायलोमा कैंसर (बोन मैरो कैंसर) क्या होता है इसके बारे में जान चुके है। आइये अब हम इसके कारणों के बारे में जानते है।
- शराब का सेवन- यह बात तो हम सब भली भांति जानते है कि शराब पीना कितना हानिकारक होता है। शराब पीने से कई खतरनाक बीमारियां होती है उन्ही में से एक है मल्टिपल मायलोमा। जी हाँ, शराब का सेवन करना इस घातक बीमारी को बुलावा देने के बराबर है।
- धूम्रपान- जिस तरह से शराब पीना सेहत के लिए हानिकारक है उसी प्रकार धूम्रपान करना भी हमारे लिए जानलेवा साबित हो सकता है। धूम्रपान करने से हमारे शरीर मे मौजूद कोशिकाएं अस्वस्थ होने लगती है और मल्टिपल मायलोमा कैंसर पनप ने लगता है।
- अधिक उम्र- अधिक उम्र का होना भी इस बीमारी कर होने की एक मुख्य वजह है। मल्टिपल मायलोमा के ज्यादातर मामलों में यह देखा गया है कि अधिकतर मरीजों की उम्र 50 वर्ष से अधिक थी।
- अधिक वज़न होना- अगर किसी व्यक्ति का वजन ज्यादा है तो उसे भी इस बीमारी से सतर्क रहना चाहिए क्योंकि सामान्य से अधिक वजन होना (मोटापा) इस बीमारी का एक मुख्य कारण होता है।
मल्टिपल मायलोमा के लक्षण (multiple myeloma symptoms)
इस बीमारी के कारण जानने के बाद हमे इसके लक्षण जानने की जरूरत है तो चलिए आइये इसके लक्षण के बारे में जानते है।
- ज्यादा प्यास लगना- वैसे तो किसी आम आदमी को दिन में कम से कम 3 लीटर से 4 लीटर पानी पीना चाहिए लेकिन अगर बार बार प्यास लग रही है या ज्यादा प्यास लग रही है तो यह मल्टिपल मायलोमा (multiple myeloma) का एक लक्षण हो सकता है।
- शरीर मे खून की कमी होना- शरीर मे खून की कमी होना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है और यह कई बीमारियों का संकेत भी हो सकता जिनमे मल्टिपल मायलोमा भी शामिल है। जी हाँ मल्टिपल मायलोमा का यह एक लक्षण है।
- जल्दी जल्दी बुखार आना या संक्रमण होना- अगर आपको जल्दी जल्दी बुखार आता है या बार बार संक्रमण होता है तो आपको तुरंत ही डॉक्टर से मिलना चाहिए क्योंकि यह मल्टिपल मायलोमा होने का अंदेशा भी हो सकता है।
- पीठ या पसलियों में दर्द रहना- किसी व्यक्ति के पीठ या पसलियों में लगातार दर्द रहता है या फिर शरीर की किसी भी हड्डी में दर्द रहता है तो उसे यह दर्द नजरअंदाज नही करना चाहिए क्योंकि यह मल्टिपल मायलोमा का लक्षण भी हो सकता है।
- शरीर मे थकान या कमज़ोरी महसूस करना- शरीर मे थकान महसूस होना वैसे तो सामान्य हो सकता है लेकिन अगर आपको शरीर मे लगातार थकान महसूस हो रही है या कमजोरी महसूस हो रही है तो आपको इसको लेकर सजग रहना चाहिए क्योंकि यह भी मल्टिपल मायलोमा का एक लक्षण है।
- बार बार पेशाब जाना- मल्टिपल मायलोमा का एक लक्षण बार बार पेशाब जाना भी होता है।
छोटी मोटी चोट से हड्डियों में फ्रैक्चर- अगर आपकी हड्डियों में छोटी मोटी चोट से फ्रैक्चर हो जाता है तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। - किडनी का फेल होना- किसी भी व्यक्ति के शरीर के अन्य हिस्सों की तरह किडनी भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अगर किसी की एक किडनी खराब हो जाये तो उसको जीवन यापन में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अगर किसी व्यक्ति की कोई भी किडनी फेल हो जाये तो उसे मल्टिपल मायलोमा होने का ज्यादा खतरा होता है।
मल्टिपल मायलोमा की रोकथाम के उपाय (prevention of multiple myeloma cancer)
मल्टिपल मायलोमा के कारण और लक्षण जानने के बाद हमे उसके रोकथाम के उपाय जानने चाहिए।
- वजन पर नियंत्रण- मल्टिपल मायलोमा की रोकथाम के लिए सबसे पहले अगर आपका वजन ज्यादा है तो उसे कम कीजिये। जिन महिलाओं का वजन बहुत अधिक है तो उनके लिए हेमपुष्पा सिरप बहुत ही फायदेमंद है |
- शराब को ना- अल्कोहल हमारे शरीर को नुकसान पहुचाता है और मल्टिपल मायलोमा को भी बढ़ावा देता है इसलिए सबसे पहले शराब या किसी भी तरह के अल्कोहल के सेवन से बचिये।
- संतुलित डाइट अपनाइए- इस बीमारी से बचने के लिए एक संतुलित डाइट अपनाइए और इसमें सब्जियों, ताजे फलों और अनाज को शामिल कीजिये। इन सब चीजों में एन्टी ऑक्सीडेंट होते है जो कैंसर की रोकथाम में सहायक होते है।
- नियमित रूप से जाँच- अपने शरीर की नियमित रूप से जाँच कराते रहना चाहिए जिससे हमें अपने शरीर के बारे ज्यादा जानने को मिलता है। और इसी के साथ हमे यह भी पता लगता है कि हम किसी बीमारी की चपेट में तो नही है।
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