ऑस्टियोपीनिया क्या है, जानिये इसके कारण, लक्षण और इलाज | Osteopenia meaning in Hindi

osteopenia meaning in hindi

ऑस्टियोपीनिया (osteopenia in hindi) हड्डियों की एक बीमारी है जिसमे हड्डियां कमजोर होने लगती है क्योंकि इस बीमारी में हड्डियों की सघनता में कमी आ जाती है. इसमें हड्डियों के टूटने के जोखिम भी बढ़ जाते है. यह बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक होती है| एक शोध के अनुसार भारत में 3 करोड़ से ज्यादा लोग इस बीमारी से ग्रसित है|

हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम और विटामीन D की जरूरत होती है लेकिन आधुनिक और खराब जीवनशैली के कारण आज का युवा वर्ग इन तत्वों पर ध्यान नहीं दे पाता है| जिस वजह से वे तेजी से इस बीमारी की चपेट में आ रहे है. खासकर यह बेमारी महिलाओं में ज्यादा होती है. 30 की उम्र के बाद महिलाओं की हड्डियों होने के चांस ज्यादा रहते है|

आज हड्डियों की कमजोरी आम बात है| अस्पतालों में आज बुखार से ज्यादा हड्डियों के मरीज है. हड्डियों में दर्द, हड्डियों का कमजोर होना, हड्डियों का घिस जाना आज के टाइम में आम बात है. ऐसे में आज की इस पोस्ट में हम आपको हड्डियों से जुड़ी एक बीमारी ऑस्टियोपीनिया के बारे में बताएँगे की आखिर यह क्या है, इसके लक्षण और कारण क्या है तथा इसका इलाज कैसे करते है.

ऑस्टियोपीनिया क्या है? ( What is 0steopenia)

जैसा की आपको बता चुके है की ऑस्टियोपीनिया हड्डियों की बीमारी है. इसमें हड्डियां कमजोर होने लगती है. फ्रेक्चर, कमर झुकना, गंभीर दर्द आदि ऑस्टियोपीनिया में होने लगता है. यह बीमारी पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में होती है लेकिन आज के समय में पुरुषों में भी यह बीमारी ज्यादा देखने को मिल रही है.

ऑस्टियोपीनिया के कारण (Osteopenia Causes in Hindi)

जैसे-जैसे उम्र बढती है लोगों की हड्डियां प्राकृतिक रूप से कमजोर होने लगती है. ऐसे में पुरानी हड्डियां टूटने लगती है और शरीर नई हड्डियों का निर्माण करने लगता है| जो लोग ऑस्टियोपीनिया बीमारी से पीड़ित होते है उनकी हड्डियां कमजोर होने लगती है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यह बीमारी ज्यादा होती है.

ऑस्टियोपीनिया के लक्षण (Osteopenia Symtoms in Hindi)

ऑस्टियोपीनिया बीमारी का कोई लक्षण नहीं होता क्योंकि इसमें हड्डी के कमजोर होने पर भी किसी तरह का दर्द नहीं होता. कई बार तो ऑस्टियोपीनिया के कारण अगर फ्रेक्चर हो जाता है तब भी दर्द नहीं होता है| इसलिए ऐसे में इसके कोई लक्षण नहीं है|

ऑस्टियोपीनिया का खतरा कब बढ़ जाता है?

  • उम्र बढ़ने के साथ-साथ ऑस्टियोपीनिया होने का खतरा बढ़ जाता है| क्योंकि उम्र के साथ-साथ हड्डियां कमजोर होने लगती है|
  • शरीर में कैल्शियम, विटामीन D आदि की कमी से भी ऑस्टियोपीनिया होने का खतरा बढ़ जाता है|
  • अनियमित खान-पान और पोषक तत्वों की कमी से|
  • शराब और नशीले पदार्थों के सेवन से|
  • खून की कमी से|
  • अधिक मात्रा में चाय और कॉफी के सेवन से|       (और पढ़े:-गठिया क्या है? लक्षण,कारण और उपचार)
  • शरीर के पतले होने से|
  • व्यायाम न करने से|
  • तम्बाकू के सेवन से|

इन सभी वजहों से ऑस्टियोपीनिया होने के खतरे बढ़ जाते है.

ऑस्टियोपीनिया से बचाव के उपाय

नशीले पदार्थों से दुरी:- शराब और अन्य तम्बाकू उत्पादों से दुरी बनाये रखें. यह शरीर को कमजोर करने के साथ-साथ हड्डियों को भी कमजोर कर देते है. इसलिए इनका सेवन करना छोड़ दे|

संतुलित आहार खाएं:- भोजन में पोषक तत्वों और हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें| जितना हो सके संतुलित आहार खाएं बाहर के जंक फ़ूड या फास्ट फ़ूड से बचें, ऐसे आहार का सेवन करें जिनमे भरपूर मात्रा में विटामीन D और कैल्शियम हो|

धुप का सेवन करें:- सुबह 9 बजे तक धुप सेहत के लिए अच्छी मानी जाती है. इसलिए सुबह छत पर जाकर आप धुप का सेवन करें क्योंकि धुप में प्रचुर मात्रा में विटामीन D होता है जो की हड्डियों की मजबूती के लिए बहुत जरुरी है.

व्यायाम और योग करें:- रोज सुबह टहलने जाएँ, योग और व्यायाम करें| इससे शरीर स्वस्थ रहेगा और हड्डियां मजबूत रहेगी|

दिनचर्या को सही करें:- अपने खान-पान के साथ-साथ अपनी दिनचर्या को सही करें, उठने से लेकर सोने तक का समय सही करें| दिनचर्या ऐसी हो जिसमे आपका शरीर स्वस्थ रहे, आलस को त्यागे और जोश के साथ काम करें|

ऑस्टियोपीनिया का निदान मेडिकल में

डॉक्टर रोगी की लम्बाई को मापते है, उसकी खुन की जांच करते है, रोगी से जरुरी जानकारी लेते है, उनकी दवाइयों के बारे में पूछते है| रोगी को होने वाले दर्द के बारे में जानकारी ली जाती है| विटामीन D की जांच के लिए खून की जांच की जाती है. जरूरत पड़ने पर एक्सरे भी किया जाता है. कई बार डॉक्टर खून के साथ-साथ पेशाब टेस्ट की सलाह भी देता है. इन सभी जांचो से बीमारी का पता लगाया जाता है और फिर दवाई दी जाती है.

हालाँकि ऑस्टियोपीनिया का कोई अंत नहीं है लेकिन फिर भी सावधानी रखने से आप खुद का ख्याल रख पाएंगे और इस बीमारी के जोखिम को कम कर पाएंगे. ज्यादा से ज्यादा संतुलित आहार खाएं और कैल्शियम युक्त पदार्थों का सेवन करें. धुप का सेवन करें और नशे से दुरी बनाये रखें.

 

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