
हम सब यह तो जानते है कि कैंसर की बीमारी कई प्रकार की होती है उसी प्रकार गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रॉमल ट्यूमर भी एक तरीके से कैंसर का ही प्रकार है। यह बीमारी हमारे शरीर के पाचन तंत्र में होता है। सही मायनों में कहा जाए तो यह एक तरीके से दुर्लभ प्रकार का ट्यूमर होता है। इसका सीधा संबंध पेट और छोटी आँत से होता है। आइये अब हम गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रॉमल ट्यूमर के कारणों के बारे में जानते है।
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रॉमल ट्यूमर के कारण (Tumor in stomach causes in hindi)
इस बीमारी का कोई सटीक कारण तो नही मिला है परंतु इसके बारे में यह कहा जा सकता है कि यह आनुवंशिक कारणों से भी हो सकता है। इस बीमारी को समझना आसान नही है फिर भी कुछ ऐसे कारण होते है जिससे इस बीमारी के होने का खतरा होता है। किसी व्यक्ति में एक से अधिक कारण होने का यह मतलब नही है उस व्यक्ति को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रॉमल ट्यूमर है, इसलिए यह जानना काफी मुश्किल होता है कि किस कारण ने इस बीमारी को बढ़ने में मदद की है। कि आइये उन्ही कुछ कारणों के बारे में जानते है।
- धूम्रपान- अगर कहा जाए कि धूम्रपान हर बीमारी की जड़ होता है तो इसमें कुछ गलत नही होगा। धूम्रपान से कई घातक बीमारियां होती है। उन्ही में से एक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रॉमल ट्यूमर होने का एक मुख कारण धूम्रपान होता है।
- अधिक नमक का सेवन- नमक का प्रयोग हम भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए करते है। लेकिन अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रॉमल टयूमर होने का खतरा होता है।
- सब्जियों और फलों का कम प्रयोग- सब्जियां और फल तो वैसे भी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते है और हमे कई बीमारी से लड़ने में सहायता भी करते है लेकिन अगर हम अपने भोजन में या दिनचर्या में ताजी सब्जियों और फलों का कम प्रयोग कर रहे है तो यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रॉमल ट्यूमर की बीमारी को बुलावा देने के बराबर है।
- बढ़ती आयु- इस बीमारी का एक और मुख्य कारण बढ़ती उम्र का होना है। अक्सर देखा गया है कि यह बीमारी ज्यादा उम्र के लोगो मे ही पाई जाती है।
- अनुवांशिक- अगर किसी परिवार में पहले से किसी को यह बीमारी हो तो बाकी सदस्यों को इस बीमारी की चपेट में आने का ज्यादा खतरा होता है।
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रॉमल ट्यूमर के लक्षण (Stomach tumor symptoms)
अब तक हम गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रॉमल ट्यूमर के बारे में जान चुके है, इसके कारणों के बारे में जान चुकें है। चलिये अब हम इसके लक्षणो के बारे में जानकारी प्राप्त करते है।
इस बीमारी के लक्षण वैसे तो कुछ ज्यादा अलग नही होते बल्कि आम बीमारियों के लक्षण जैसे ही होते है। फिर भी अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें।
- बदहज़मी या पेट मे जलन- पेट मे किसी तरह की जलन महसूस होना या बदहज़मी होना भी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रॉमल ट्यूमर का लक्षण हो सकता है। वैसे तो यह लक्षण किसी आम बीमारी के भी हो सकते है परंतु आपको ऐसे लक्षणो को नजरअंदाज नही करना चाहिए और तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए ।
- थोड़ा खाने पर पेट फूलना- अगर आपको भी थोड़ा सा खाने पर ही पेट फूलने की शिकायत हो या थोड़ा सा ही खाने पर पेट भरा हुआ महसूस हो, तो ऐसे में आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए क्योंकि यह भी एक लक्षण है गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रॉमल ट्यूमर का।
- पेट में दर्द- इस बीमारी का एक और मुख्य लक्षण है पेट या उदर में दर्द रहना। साधारणतया जब हमारे पेट मे दर्द होता है तो उसे हम खाने पीने से संबंधित दर्द समझ कर नजरअंदाज कर देते है जबकि ऐसा करना सेहत के लिए काफी खतरनाक है। अगर किसी को लगातार पेट दर्द रहता है तो उसे इसकी जांच तुंरत करानी चाहिए।
- वजन का कम होना- वैसे तो आज के इस दौर में हर कोई फिट रहना चाहता है और अपना वजन कम रखना चाहता है लेकिन अगर आपका वजन बिना किसी प्रयास के लगातार कम हो रहा है तो आपको इसके बारे में डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए, क्योंकि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रॉमल ट्यूमर में वजन अचानक से कम होने लगता है।
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रॉमल ट्यूमर से बचने के उपाय (stomach tumor prevention in hindi)
अबतक हम गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रॉमल ट्यूमर के कारण और लक्षण जान चुके है आइए अब इस बीमारी से बचने के उपाय जानते है
- धूम्रपान या शराब का सेवन छोड़े- अगर कोई व्यक्ति शराब या धूम्रपान का सेवन करता है तो उसे तुरंत ही इस चीज का सेवन छोड़ देना चाहिए। ऐसा करके इस खतरनाक बीमारी से बचा जा सकता है।
- संतुलित डाइट- आज के दौर की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम वक़्त बेवक्त कुछ भी खा लेते है और इसका सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ता है इसलिए सबसे जरूरी है कि संतुलित डाइट को अपनाया जाए और सही समय पर सही चीज खाई जाए।
- फलों और सब्जियों का सेवन- फलों और सब्जियों में एंटीऑक्सीडेंट होते है जो कैंसर की रोकथाम करने में सक्षम होते है। इसलिए अपने भोजन में फलों और सब्जियों का प्रयोग करना चाहिए
- नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच- नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच करानी चाहिए इससे हमें यह पता चलता है कि कही किसी बीमारी ने हमे अपनी चपेट में तो नही ले रखा है।
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